शिक्षा में नवाचार की दिशा में सशक्त कदम
अमेठी। जनपद अमेठी में “लर्निंग बाय डूइंग” (Learning by Doing) कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों में शिक्षा को व्यवहारिक, कौशल-आधारित और जीवनोपयोगी बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। प्रथम चरण में 36 विद्यालयों में नवीन लैब की स्थापना की गई है, जिनमें से 10 विद्यालय पीएम श्री विद्यालय हैं। यह पहल विद्यार्थियों को पारंपरिक पठन-पाठन से आगे बढ़कर “करके सीखने” (Experiential Learning) के लिए प्रेरित कर रही है।
शिक्षकों का प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम का संचालन-
राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा गणित एवं विज्ञान विषय के शिक्षकों को दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में चार प्रमुख ट्रेड्स —
(1) कृषि एवं उद्यान,
(2) होम एंड हेल्थ,
(3) इंजीनियरिंग एंड वर्कशॉप, तथा
(4) ऊर्जा एवं पर्यावरण —
के अंतर्गत व्यवहारिक शिक्षण की गतिविधियाँ संचालित करने का प्रशिक्षण दिया गया।
विद्यालयों में नवाचारात्मक गतिविधियाँ-
कंपोजिट विद्यालय रमई, तिलोई में प्रशिक्षित शिक्षक श्री आदित्य नारायण शुक्ल द्वारा होम एंड हेल्थ ट्रेड के अंतर्गत विद्यार्थियों को प्राथमिक उपचार की विधियों का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। विद्यार्थियों ने स्वयं प्राथमिक उपचार किट का प्रयोग कर सीखा कि आकस्मिक परिस्थितियों में कैसे कार्य किया जाए।
जूनियर विद्यालय बालचंदपुर, भादर में इंजीनियरिंग एंड वर्कशॉप ट्रेड के तहत विद्यार्थियों ने पुन: उपयोग योग्य सामग्रियों से उपयोगी वस्तुएँ बनाना सीखा। एनर्जी एंड एनवायरनमेंट ट्रेड में फूड न्यूट्रिएंट्स की जानकारी के साथ विद्यार्थियों ने सेब का जैम, तिल के लड्डू एवं मूंगफली की चिक्की तैयार की, जिससे उन्हें पोषण एवं स्वच्छता की समझ विकसित हुई।
कृषि एवं बागवानी से व्यवहारिक शिक्षा-
जनपद के विद्यालयों में किचन गार्डन को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है। विद्यार्थी पालक, धनिया, टमाटर जैसी सब्जियों की बुवाई, सिंचाई, जैविक खाद निर्माण और पौधों की वृद्धि प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से सीख रहे हैं। इससे बच्चों में कृषि के प्रति रुचि एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता विकसित हो रही है।
विद्यार्थियों का अनुभव-
जूनियर विद्यालय बालचंदपुर की छात्राएँ पूजा मौर्य (कक्षा 7) और साक्षी पाल (कक्षा 8) ने बताया —
“लर्निंग बाय डूइंग कार्यक्रम ने हमें न केवल किताबों से परे सीखने का अवसर दिया है, बल्कि आत्मविश्वास और रचनात्मकता भी बढ़ाई है। अब हमें विज्ञान और तकनीक के प्रयोगों को समझने में अधिक रुचि होती है।”
परिणाम एवं प्रभाव-
- विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और नवाचार की भावना में वृद्धि हुई है।
- शिक्षक–विद्यार्थी संवाद और सहभागिता का स्तर मजबूत हुआ है।
- शिक्षा अब ज्ञान से कौशल आधारित स्वरूप की ओर अग्रसर है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में स्वावलंबन और रचनात्मक सोच विकसित हो रही है।
जिलाधिकारी संजय चौहान (आईएएस) एवं मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल (आईएएस) ने कहा —
“लर्निंग बाय डूइंग कार्यक्रम बच्चों को ‘करके सीखने’ की दिशा में एक अभिनव पहल है। यह मॉडल शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाते हुए विद्यार्थियों में आत्मनिर्भरता और रचनात्मक सोच को बढ़ावा दे रहा है। हमारा लक्ष्य है कि जनपद के प्रत्येक विद्यालय में यह मॉडल लागू हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अमेठी अग्रणी बने।”