नन्दिनी योजना का उठाये लाभ, देशी गाय के पालन पर मिलेगा अनुदान


कानपुर - मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आई.डी.एन. चतुर्वेदी ने बताया कि नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना का उद्देश्य किसानों को ऐसी देशी नस्ल की गायों से जोड़ना है, जो A₂ प्रकार का दूध देती हैं। A₂ दूध सेहत के लिए अधिक लाभकारी माना जाता है और कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर सकता है। इसी कारण योजना में साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगातीरी जैसी नस्लों को ही बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि योजना के तहत 25 गाय की A₂ दुग्ध गौशाला के लिए 31.25 लाख रुपये का अनुदान और मिनी नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना में 10 गाय की गौशाला के लिए 11.80 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। आवेदन नन्द बाबा दुग्ध मिशन पोर्टल http://nandbabadugdhmission.up.gov.in पर 13 अगस्त तक किए जा सकते हैं। अधिक जानकारी विकास भवन, रावतपुर स्थित मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से ली जा सकती है।

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि दूध में लगभग 87 प्रतिशत पानी और 13 प्रतिशत ठोस पदार्थ होता है, जिसमें वसा, लैक्टोज, मिनरल और प्रोटीन शामिल हैं। दूध का प्रमुख प्रोटीन बीटा केसीन दो प्रकार का होता है — A₁ और A₂। देशी नस्ल की गायें मुख्यतः A₂ देती हैं, जबकि विदेशी नस्लों में अधिकतर A₁ पाया जाता है। A₁ प्रोटीन के पाचन से बीटाकेसोमॉर्फिन-7 नामक पदार्थ बनता है, जो पाचन तंत्र, हार्मोन, प्रतिरक्षा प्रणाली और मस्तिष्क पर नकारात्मक असर डाल सकता है। 

शोध में इसे हृदय रोग, टाइप-1 डायबिटीज, आंत की सूजन, महिलाओं में बांझपन, नींद की समस्या, मानसिक असंतुलन, ऑटिज्म और सिजोफ्रेनिया जैसी स्थितियों से जुड़ा पाया गया है। छोटे बच्चों में इससे सडेन इनफेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा भी बढ़ सकता है।

उन्होंने कहा कि शुद्ध देशी नस्ल की गायों का A₂ दूध इन तमाम समस्याओं से बचाव में सहायक है और यही वजह है कि नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना में इन्हीं नस्लों की गौशालाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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