कृषि वैज्ञानिकों ने लक्ष्मीपुर में धान की सीधी बुवाई का निरीक्षण किया
देवरिया -आज अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ0 आर के मलिक, डॉ0 अजय कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 मान्यता सिंह, डॉ0 कमलेश मीना के द्वारा ग्राम पाठकोली, लबकनी, लक्ष्मीपुर में धान की सीधी बुवाई का निरीक्षण किया।
धान की सीधी बुवाई के निरीक्षण के दौरान डॉक्टर आरके मलिक द्वारा किसानों को बताया गया कि धान की सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें सीडड्रिल मशीन के द्वारा खेत में पर्याप्त नमी बनाकर धान की सीधी बुवाई की जाती है
इस विधि में धान की पौध तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे पानी की बचत, लागत में भी बचत, समय में भी बचत मजदूरों की बचत आवश्यकता नहीं होती है और प्रति कट्टा उत्पादन भी अधिक होता है।
इस विधि से इन गांवों में 15 किसानों ने समूह बनाकर 35 एकड़ में धान की सीधी बुवाई की गई हैं और खरपतवार नियंत्रण के तीन बूम नोजल का प्रयोग करने की सलाह दी एवं बताया की यहां पर खरपतवारनाशी सहनशील प्रजातियों के भी परीक्षण लगाए गए है जिनके शुरुआती परिणाम बड़े ही उत्साहवर्धक हैं जिससे धान सभी किसान संतुष्ट हैं कंसो खरपतवार की रोकथाम के लिए फेनाक्सौप्रोप 500 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी।
डॉ0 मांधाता सिंह ने बताया कि इस विधि को अपनाने से प्राकृतिक संसाधनों की बचत के साथ साथ धान उत्पादन में भी आसानी होती है। इस प्रकार के परीक्षण अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान एवं कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के माध्यम से लगभग 500 एकड़ में लगाए गए हैं।
डॉ0 कमलेश मीना ने बताया कि इस विधि के द्वारा धान की लंबी अवधि वाली प्रजातियों की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह और कम अवधि वाली प्रजातियों की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह में की जा सकती है।
इस अवसर पर डॉ. अजय कुमार ने बताया कि इस विधि से बुवाई करने पर समय पर खरपतवारनशियों का प्रयोग करना चाहिए।
डॉ दिलबर सिंह प्रतिहार, शरद चंद राय, किसान कृष्णमोहन पाठक, गंगेश पाठक, अध्या पाण्डेय, अशोक तिवारी, सुनील गोंड, विजय तिवारी, सत्यप्रकाश मिश्रा, जयप्रकाश उपाध्याय आदि किसान उपस्थित रहे।