पुरवाई लोकोत्सव-2025 का आयोजन किया गया
राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) एवं पुरवाई कला गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय पुरवाई लोकोत्सव का शानदार आगाज हुआ। मंच पर पूर्वांचल की लोक संस्कृति, लोक नृत्यों की एवं लोकगीतों के कलाकारों ने अद्भूत छटा बिखेरी। संचालक ने जैसे ही अयोध्या से पधारी संगीता आहूजा एवं टीम को मंच पर बुलाया, तो दर्शकों ने तालियों से सभी कलाकारों का स्वागत किया। रंग-विरंगे परिधानों में सजे कलाकारों अपने हुनर से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शनिवार को योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में अपनी संस्कृति को जन-जन से जोड़ने के उद्देश्य से पुरवाई लोकोत्सव-2025 का आयोजन हुआ।
शुभारम्भ अवसर पर मध्यप्रदेश से पधारीं पद्मश्री लोक चित्रकार दुर्गा बाई व्याम, साहित्य अकादमी नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी एवं महापौर, नगर निगम, गोरखपुर डाॅ0 मंगलेश श्रीवास्तव ने तुलसी की पूजा-अर्चना की। तत्पश्चात कला दीर्घा में गोरखपुर एवं आस-पास के क्षेत्रों के लगभग 40 कलाकारों द्वारा सृजित चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
साथ ही परिसर में लोक रीति रिवाज यथा- खिचड़ी, छठ, एकादशी, वट सावित्री, नाग पंचमी आदि की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
यहाॅं यह उल्लेखनीय है कि माननीय अतिथियों द्वारा लोककला से ओत-प्रोत हुनर हाट (हस्तकला प्रदर्शनी) का भी अवलोकन किया गया, जिसमें कि 20 गृहणियों ने जूट, मूज, टेराकोटा आदि से बनी सामग्रियों से लोगों को अपने हुनर से परिचित कराया।
दीप प्रज्ज्वलन कर सभी अतिथियों ने पुरवाई लोकोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। शुभारम्भ अवसर पर गोंड चित्रकला की ख्यातिलब्ध कलाकार दुर्गाबाई व्याम का आयोजन समिति की ओर से स्व0 डाॅ0 राजीव केतन स्मृति लोक कला सम्मान से सम्मानित किया गया। दो दिवसीय लोक कला प्रदर्शनी के कैटलाग का अतिथियों द्वारा विमोचन भी किया गया।
पुरवाई कला की अध्यक्ष ममता केतन द्वारा कार्यक्रम की रूप-रेखा प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा इस आयोजन के उद्देश्य के बारे में भी बताया गया।
बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित महापौर, नगर निगम डा0 मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि पुरवाई कला एवं राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर के संयुक्त आयोजन के रूप में पुरवाई लोकोत्सव-2025 का परिदृश्य अपने आप में उत्तर प्रदेश की संस्कृति को अभिव्यक्त करने का सशक्त पटल बन गया है।
परिसर में प्रवेश करते ही हमारी लोक-संस्कृति की जो महक आयोजकों द्वारा बिखेरी गयी है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। कलाकारों द्वारा लोक संस्कृति के समस्त तत्वों को समाहित करते हुए लोकोत्सव को एक अद्भूत स्वरूप प्रदान किया गया है।
मुख्य अतिथि लोक चित्रकार दुर्गाबाई द्वारा अपनी कला सृजन की यात्रा को सभी दर्शकों के साथ साझा किया गया। साथ ही वह किस प्रकार गोंड चित्रकला के माध्यम से पद्मश्री सम्मान तक पहुॅंची, इससे भी सभी को रूबरू कराया। मध्य प्रदेश के ग्रामीण जीवन में समाहित गोंड चित्रकला जो भित्ती चित्रों से होते हुए कैनवास तक आते हुए विश्व पटल पर पहुॅंची। इस पर भी प्रकाश डाला। ऐसे ही अन्य क्षेत्रों की लोक चित्रकला भी विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाये, इस हेतु पुरवाई कला का यह मंच है एवं नीव के पत्थर का कार्य कर रहा है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्म श्री आचार्य विश्वनाथ तिवारी द्वारा कहा गया कि लोक कला का अपना विस्तृत स्वरूप है, जोकि जन-जन तक अपनी पहुॅंच रखता है। लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की जो जिम्मेदारी पुरवाई कला एवं राजकीय बौद्ध संग्रहालय ने उठायी है, उन्हें साधुवाद की पात्र है। सभागार में बैठे युवाओं के माध्यम से हमारी अपनी संस्कृति, अपनी कला आम जन तक पहुॅचेगी।
द्वितीय सत्र में लोकप्रवाह के अन्तर्गत लोकगीतों एवं लोकचित्रों की कार्यशाला का आयोजन हुआ। वरिष्ठ कलाकार रामदरश शर्मा ने युवाओं को अपनी प्राचीन संस्कृति एवं संस्कारों को गीतों के माध्यम से परिचित कराया। उन्होंने विवाह गीत, पाणिग्रहण, मटकोड़वा आदि गीतों की बारीकियों से भी सभी को रूबरू कराया। इसी क्रम में सांस्कृतिक मंच पर भगवान श्री राम के जन्म से लेकर विवाह के विभिन्न प्रसंगों को अपने भावपूर्ण बधावा नृत्य के माध्यम से अयोध्या के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
शारदा संगीतालय के कलाकारों ने राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में संस्कार गीतों की प्रस्तुतियां की। सबसे पहले भगवान शिव की अराधना करते हुए मंगल गीत गाया। युवा लोक कलाकार पवन पंक्षी ने अपनी टीम के साथ लोकगीत एवं लोकनृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। महराजगंज से आये कलाकार वीरसेन सूफी ने पूर्वी, चैता गीतों को सुनाकर वाहवाही बटोरी।
अब बारी थी बिहार से पधारी सुप्रसिद्ध लोकगीत कलाकार चन्दन तिवारी का। मंच पर आते ही उन्होंने सबसे पहले सभागार में बैठे दर्शकों को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और हाल-चाल लिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों में करीं सुमिरनवा हो, जय बाबा गोरखनाथ के..... पचरा गीत, निर्गुण गीत एवं अपने प्रसिद्ध लोकगीत चितचोर मोर सखिया ना अइलें एवं इहे नू गोरखपुर हवे बाबू.......आदि की मनमोहक प्रस्तुतियाॅं दी।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर की ओर से सभी कलाकारों का आभार व्यक्त किया गया।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश संस्कृति का महत्वपूर्ण प्राचीनतम केन्द्र रहा है। यहाॅं के कण-कण में लोक संस्कृति रची-बसी है। हमारे युवाओं को ब्रज की सांझी कला, बुंदेलखण्ड की चितेरी कला और पूर्वांचल की कोहबर व चैक कला को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए संकल्पित होकर प्रयास करना चाहिए।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डा0 हर्षवर्धन राय ने भी पुरवाई लोक यात्रा को राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बनाने के लिए यथासम्भव प्रयासों हेतु सभी कला मर्मज्ञों से अनुरोध किया।
यहाॅं यह उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय पुरवाई लोकोत्सव का समापन नवसंवत्सर के प्रथम दिवस पर माननीय राज्य सभा सांसद डाॅ0 राधामोहन दास अग्रवाल, दी0द0उ0 गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 पूनम टण्डन एवं भारतीय स्टेट बैंक के उप महाप्रबन्धक कुमार आनन्द की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न होगा।
इस अवसर पर महानगर के तमाम कला मर्मज्ञ उपस्थित रहेंगे।